Monday, December 26, 2011

मुक्तिपथ-प्रेमपथ महाकाव्यागीत

विश्व का सबसे लंबा हिंदी काव्यगीत
मुक्तिपथ-प्रेमपथ महाकाव्यागीत
- प्रो. सरन घई

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥१॥

मुक्तिपथ वो मार्ग है जो मुक्ति दिलाता,
माया के बन्धनों से है आजाद कराता,
चौरासी के फन्दे से है इन्सां को बचाता,
भगवान के चरणों में व्यक्ति स्थान है पाता।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥२॥

सुबह उठ के नियम से जो ध्यान है करता,
भगवान के चरनों में नित्य हाजरी भरता,
व्यायाम, प्राणयाम, योग नियम से करता,
ऐसा ही व्यक्ति भवजल के पार उतरता।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥३॥

दिन भर जो जिन्दगी के लिये काम है करता,
औरों के अवगुणों पे कभी ध्यान ना धरता,
लौट के जब आता थका-मांदा सदन को,
भगवान के चरणों में झुका देता बदन को।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥४॥

सोने से पहले ईश से फ़रियाद ये करता,
मैं दास हूँ तेरा प्रभु तू मेरा है भर्त्ता,
दिन भर की मेरी भूलों पे तू ध्यान ना धरना,
जो जो किये हैं पाप उन्हें माफ़ तू करना।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥५॥

तेरा है फ़र्ज अपनी गृहस्थी को चलाना,
परिवार को तमाम दुखों से है बचाना,
ईमान से सबके लिये रोजी है कमाना,
सबको खिला के आखिरी में स्वयम्‍ है खाना।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥६॥

नि:स्वार्थ भाव से सभी का साथ निभाना,
हर दीन को दु:खी को कलेजे से लगाना,
आये जो मांगने तेरे दर पे कभी उसको,
जो बन पड़े देना मगर खाली न लौटाना।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥७॥

जो देते हैं उनके ही वो भंडार है भरता,
खुशियों से मुरादों से उनकी झोलियाँ भरता,
अपनी दया का उनपे सदा हाथ वो रखता,
उन पर सदा माया की वो बरसात है करता।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥८॥

औरों की फ़िक्र जिन के मन में अपनों से ज्यादा,
भगवान उनकी राह की हरते सभी व्याधा,
आती न जिंदगी में कोई बेसबब बाधा,
ऐसे ही सच्चे भक्तों ने भगवान को साधा।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥९॥

उनके लिये संसार है मिट्टी का खिलौना,
आसमान उनका ओढ़ना धरती है बिछौना,
उनको न आलीशान से मकान चाहियें,
दो रोटियाँ, इक वस्त्र ये सामान चाहिये।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥१०॥

वो ही हैं मुक्तिमार्ग के अविचल, अडिग पथिक,
उनको न भूख प्यास की परवाह है तनिक,
उनको न चांदी-सोने के उपहार चाहियें,
उनको न घर, जमीन, धन या कार चाहियें।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥११॥

तुममें भी प्रेम की यदि जगने लगी है लौ,
तो तुम भी मुक्तिपथ के रास्ते पे निकल लो,
है रास्ता मुश्किल मगर ये मानना होगा,
पानी मुझे मंजिल जिगर में ठानना होगा।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥१२॥

जो मारते छलांग वही पार उतरते,
वरना तो लोग दुनिया में जीते हैं न मरते,
कीड़ों की तरह जिंदगी कट जाती है उनकी,
मरने के बाद याद भी मिट जाती है उनकी।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥१३॥

उनके लिये जीवन के नहीं मायने कोई,
कब आये, कब चले गये, पहिचान न कोई,
जीवन तो उनका है जिन्हें औरों की फ़िक्र है,
मरने के बाद उनका ही दुनिया में जिक्र है।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥१४॥

आये हो जो संसार में ऐसे करम करो,
औरों के वास्ते जियो सबका भला करो,
हर दम रहो तैयार दु:खी की मदद को तुम,
पाओगे शुभाशीष खुद अपने प्रभु से तुम।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥१५॥

जितनी कमाई पुण्य की करते चलोगे तुम,
मुक्तिपथ की राह पर बढ़ते रहोगे तुम,
सारा जहां तुम्हारी ही जयकार करेगा,
खुद ईश्वर तुम्हारा साधुवाद करेगा।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥१६॥

घर घर में लोग बातें तुम्हारी ही करेंगे,
होगा जहाँ सत्संग तुम्हें स्मरण करेंगे,
देंगे उदाहरण तुम्हारी प्रेम भक्ति का,
तव कृत्य सहारा बनेगा उनकी शक्ति का।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥१७॥

क्या खूब हो हर व्यक्ति मुक्ति राह थाम ले,
बढ़ता चले कदम-कदम ईश्वर का नाम ले,
देखेंगे जब उसकी ललक वे आप आयेंगे,
खुद अपने साथ उसको प्रभु ले के जायेंगे।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥१८॥

उसकी सुरत को प्रभु चरण में स्थान मिलेगा,
दोनों जहां में उसको खास मान मिलेगा,
जीवन-मरण उस व्यक्ति का कहलाएगा सफल,
आयेंगे याद नेत्र भी हो जायेंगे सजल।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥१९॥

कहना सरल है मगर करना बड़ा कठिन,
और उसपे कहर बांधने से बंधता नहीं मन,
जितना इसे साधो ये उतना तेज भागता,
जागो तो सुलाता है ये सोवो तो जगाता।

मुक्तिपथ पे चलिये, जन्म सुफल करिये,
प्रेम पथ पे चलिये, जन्म सफल करिये। ॥२०॥

क्रमश:

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