Tuesday, February 7, 2012

काव्योत्सव में “प्रेमपथ-मुक्तिपथ महाकाव्यगीत” का ई-बुक कवर लोकार्पित

दिनांक 4 फ़रवरी, 2012 को कनाडा के ब्रेम्प्टन शहर में फ़्रीडम योगा गुरुकुल प्रांगण में ’विश्व हिंदी संस्थान’ के तत्वावधान में भारत के गणतंत्र दिवस एवम्‍ ऋतुराज बसंत के उपलक्ष्य में एक कवि सम्मेलन ’काव्योत्सव’ का आयोजन किया गया। इस कवि सम्मेलन में कनाडा के जाने-माने कवियों ने काव्यपाठ किया।
कार्यक्रम का प्रारंभन ’विश्व हिंदी संस्थान’ के संस्थापक प्रो. सरन घई द्वारा रचनाधीन “प्रेमपथ-मुक्तिपथ महाकाव्यगीत” जिसे वह एक ई-पुस्तक के रूप में अतिशीघ्र प्रकाशित करने जा रहे हैं , के कवर का विमोचन किया गया। प्रो. घई ने इस महाकाव्यगीत की रूपरेखा बांधते हुए जानकारी दी कि “प्रेमपथ-मुक्तिपथ महाकाव्यगीत” को वे संसारभर में अद्यतन रचित हिंदी भाषा के सबसे बड़े काव्यगीत के रूप में प्रस्तुत करने जा रहे हैं । इस काव्यगीत की प्रमुख विशेषता यह है कि पहली पंक्ति से लेकर अंतिम पंक्ति तक यह एक अटूट, धाराप्रवाह, लयबद्ध काव्यरचना है जिसमें कुल 555 छंद हैं और अंतरे व स्थाई सहित इसमें कुल 3330 लाइनें हैं। वे इस महाकाव्यगीत को मार्च 2012 के प्रथम सप्ताह में एक ई-पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने जा रहे हैं जिसे संसारभर में कोई भी डाउनलोड करके पढ़ सकता है। शीघ्र ही घर-घर में सुने-देखे-पढ़े जाने योग्य इस महाकाव्यगीत की आडियो सी डी व डीवीडी रिलीज़ करने के साथ-साथ वे इसे एक पुस्तक रूप में प्रकाशित भी करना चाहते हैं और इस सब के लिये उन्होंने सभी से सहयोग देने की गुजरिश की। इस काव्यगीत का विषय व संदेश ’मन-माया-इंसान-परिवार-समाज-रिश्ते-भगवान’ आदि सच्चाइयों को कविता के कलेवर में समेटते हुए संसार में एक पाजिटिव वाइब्रेशन का संप्रेषण करना है।
इस अवसर पर कनाडा के जाने-माने गायक श्री अजय त्यागी ने हारमोनियम के साथ काव्यगीत के कुछ अंशो का सस्वर पठन किया जिनका साथ उनके अनुज व विश्व हिंदी संस्थान के निदेशक श्री संदीप त्यागी, श्री देवेन्द्र मिश्रा व मीनाक्षी कपूर ने दिया। तबले पर संगत निभाई श्री धैर्य कपूर ने और डफ़ पर ताल दी स्वयं प्रो. सरन घई ने।
’विश्व हिंदी संस्थान’ हिंदी भाषा की सेवा व प्रचार-प्रसार में रत गणमान्य साहित्यमनीषियों व समाज सेवकों का समय-समय पर सम्मान करती आई है और इसी कड़ी में इस कार्यक्रम के अंतर्गत इस बार संस्था के सदस्य व कनाडा स्थित जाने-माने वैज्ञानिक कविवर भारतेंदु श्रीवास्तव को उनके हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार व सेवाकार्य को मद्देनजर रखते हुए उन्हें सर्वसम्मति से “आजीवन हिंदी सेवी सम्मान २०१२” (Lifetime Achievement Award 2012) से सम्मानित किया गया। इससे पूर्व २०११ में यह सम्मान हिंदी के प्रति समर्पित व अंतर्राष्ट्रिय स्तर पर पहचाने जाने वाले समाजसेवी व शिक्षाविद्‍ श्री कैलाश भटनागर को दिया गया था।
श्री भारतेंदु ने ’विश्व हिंदी संस्थान’ की गतिविधियों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए बताया कि लगभग दो दशाब्दियों पूर्व उन्होंने ’कनाडा में ’हिंदी साहित्य सभा’ की स्थापना की थी। सभा की उसी मशाल में एक और मशाल ’विश्व हिंदी संस्थान’ के रूप में जुड़ गई है। उन्होंने कहा कि उन्हें ’लाइफ़ टाइम एचीवमेंट सम्मान” ग्रहण करते हुए गर्व महसूस हो रहा है और इसका श्रेय वे हिंदी सेवा में रत तमाम साहित्यकारों व कवियों तथा विभिन्न संस्थाओं को देना चाहते हैं जो हिंदी सेवा की अलख जगाए हुए हैं।
इस अवसर पर डा. देवेन्द्र मिश्रा तथा जाने-माने समाजसेवी श्री भगवत शरण श्रीवास्तव ने भारतीय गणतंत्र दिवस व ॠतुराज बसंत की महत्ता व हर प्रवासी भारतीय के जीवन में इन उत्सवों को जीने के प्रति उत्साह का स्वागत व हार्दिक समर्थन किया।
तत्पश्चात कवि सम्मेलन प्रारंभ हुआ जिसमें श्रीमति सरोजिनी जोहर, श्री भगवत शरण श्रीवास्तव, श्रीमति राज कश्यप, डा. देवेन्द्र मिश्रा, श्रीमति सुधा मिश्रा, श्री गोपाल बघेल, डा. भारतेंदु श्रीवास्तव, श्रीमति कॄष्णा वर्मा, श्रीमति आशा बर्मन, श्रीमति सविता अग्रवाल, श्रीमति श्यामा सिंह, श्री मोदी, श्रीमति डिंपल दीक्षित, आचार्य संदीप त्यागी व प्रो. सरन घई ने देशप्रेम व बसंत विषयों पर तरह-तरह के काव्यरंग बिखेरे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. सरन घई ने किया।
इस अवसर पर बहुत से कवियों तथा उपस्थित श्रोताओं ने विश्व हिंदी संस्थान की सदस्यता ग्रहण की। धन्यवाद ज्ञापन का भार श्री संदीप त्यागी पर रहा तथा संस्था के अगले कवि सम्मेलन की मुख्य कवियत्री सर्वसम्मति से श्रीमती सरोजिनी जोहर को चुना गया। स्वल्पाहार के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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